सरकार के 500 और 1,000 रुपए के नोट चलन से वापस ले लिए जाने के बाद किसानों के पास नकदी की भारी तंगी पैदा हो गई। सरकार ने इससे निपटने के लिए नए उपाय किए हैं। वित्त सचिव शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि नाबार्ड इस धन को किसानों तक पहुंचाने के लिए कृषि सहकारी बैंकों को उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि चालू सीजन में नाबार्ड ने जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को 21 हजार करोड़ रुपए वितरित किए जाने की सीमा तय की है। उन्होंने कहा कि 40 प्रतिशत से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को सहकारी संस्थानों से ही फसल ऋण मिलता है।
दास ने यह भी कहा कि नोटबंदी के बाद डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने डेबिट कार्डों के उपयोग पर लिए जाने वाले लेन-देन शुल्क से 31 दिसंबर तक छूट की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के सभी बैंक और कुछ निजी बैंक डेबिट कार्ड के माध्यम से किए जाने वाले सभी तरह के भुगतान पर लेन-देन शुल्क माफ करने पर राजी हो गए हैं। दास ने कहा कि डेबिट कार्डों पर लगने वाले एमडीआर शुल्क, बैंकों द्वारा लिए जाने वाले शुल्क और स्विचिंग शुल्क सभी को समाप्त कर दिया गया है।